Wednesday, August 20, 2008

कुछ नया करना तो चाह रही थी लेकिन ....

15 अगस्त को कुछ नया करना तो चाह रही थी लेकिन वो अपने समय पर हो नहीं सका। मैंने आज कई दिन के बाद कमेंट्स पढ़े हैं, सभी को साधुवाद जिन्होंने मेरे कहे को याद रखा। कुछ ने उलाहना भी दिया है कि क्यों नहीं लिखा है, ये भी लिखा है जो डर गया वो घर गया या मर गया। ऐसा कुछ नहीं है। मैं बताना चाहती हूं कि मेरा प्लान रक्षाबंधन के कारण थोड़ा डीले हो गया है लेकिन वो जारी है। डरने वाली कोई बात नहीं है। वैसे भी डरना कैसा? ब्लाग पर क्या हो रहा है, उसमें मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा जो किसी की भावनाअों को आहत करे। उसके बाद कुछ हंगामा सा हुआ, उस पर मैं क्या कहूं? होता है तो होता रहे, ब्लाग की दुनिया में ऐसा चलता रहता है, ऐसा मैंने जाना है।

Monday, August 11, 2008

हंगामा है क्यों बरपा


मैंने रीमिक्स में ब्लाग पर एक स्टोरी की। उसे अपने ब्लाग पर भी डाल दिया, बस हंगामा मच गया। मैं तो डरने वाली नहीं, लिखना आगे भी जारी रहेगा। और हां, उसमें प्रयोग किया फोटा भी चर्चा का सबजेक्ट बन गया। क्या करूं? करते रहे लोग हंगामा। इस बार भी एक स्टोरी कर डाली है, ब्लाग पर ही। देखना यह है कि इस स्टोरी को ब्लाग पर डालूंगी तो क्या होगा?हंगामा तो एक फिर होगा, यह मुझे पता है, उसका रूप क्या होगा, यह तभी पता चलेगा। 15 को डालूंगी इस स्टोरी को ब्लाग पर।

Sunday, August 3, 2008

दोस्ती का दिन सिर्फ़ एक दिन

आज संडे हैं, मेरा आफ रहता है लेकिन अभी अभी मुझे आफिस से फोन आया, फ्रेंडषिप डे पर कुछ आइटम लिखना है, मैडम कुछ आइडिया दे दो़़़, मैंने कुछ टिप्स दे दिये लेकिन बाद में सोचा कि जितना हल्ला इस पर माकेZट में हो रहा है, उससे भी ज्यादा हल्ला अखबारों में भी हो रहा है। अभी इस बार के फीचर पेज पर भी दो स्टोरी दोस्ती पर ही आधारित थी। मैंने भी एक आइटम दिया। दो दिन पूर्व ही भोलेनाथ का जलाभिशेक पर्व था, मेरे मोबाइल पर एक ही मैसेज आया लेकिन आज सुबह से मैं मैसेज इरेज करके थक गई हूं। लोगों में दोस्ती, वेलेनटाइन डे, और ऐसे ही दिवसों पर बेहतर उर्जा देखने को मिलती है। अफसोस तो यह है कि यह नई पीढ़ी का खेल है। समझ नहीं आता, ऐसे कौन कौन से दिन अब देखने को मिलेंगे।

Saturday, August 2, 2008

चलो कुछ शुरू तो हुआ

आज मैने रिमिक्स में पहली बार ब्लाग के बारे में एक कालम लिखा है। कई दिनों से सोच रही थी कि ब्लाग पर अखबार में कुछ आरम्भ करूं लेकिन हो नहीं पा रहा था। इसमें साहित्यक, खास सबजेक्ट से जुड़े या एवं चर्चित ब्लाग पर ही लिखा जायेगा। आज इसमें मैंने साई ब्लाग पर पिछले दिनों हुई गरमा गरम चर्चा पर लिखा है। नारी अंगों पर लिखी गई पोस्ट पर रचना के कमेंट ने मुझे इस सबजेक्ट पर लिखने को मजबूर किया। रचना का कमेंट भी काफी सटीक रहा उसके बाद अरविंद मिश्रा जिन्होंने यह पोस्ट लिखी थी ने अपने कमेंट के जरिये अपनी ´तौबा` को जताया भी। यह सभी बातें उसमें रखी गई हैं।