Wednesday, August 20, 2008

कुछ नया करना तो चाह रही थी लेकिन ....

15 अगस्त को कुछ नया करना तो चाह रही थी लेकिन वो अपने समय पर हो नहीं सका। मैंने आज कई दिन के बाद कमेंट्स पढ़े हैं, सभी को साधुवाद जिन्होंने मेरे कहे को याद रखा। कुछ ने उलाहना भी दिया है कि क्यों नहीं लिखा है, ये भी लिखा है जो डर गया वो घर गया या मर गया। ऐसा कुछ नहीं है। मैं बताना चाहती हूं कि मेरा प्लान रक्षाबंधन के कारण थोड़ा डीले हो गया है लेकिन वो जारी है। डरने वाली कोई बात नहीं है। वैसे भी डरना कैसा? ब्लाग पर क्या हो रहा है, उसमें मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा जो किसी की भावनाअों को आहत करे। उसके बाद कुछ हंगामा सा हुआ, उस पर मैं क्या कहूं? होता है तो होता रहे, ब्लाग की दुनिया में ऐसा चलता रहता है, ऐसा मैंने जाना है।

4 comments:

Unknown said...

Feel good......

Unknown said...

मैंने आपका लेख पढ़ा और उस पर अपनी टिपण्णी भी दी. आपने वह लिखा जो आप महसूस करती हैं. अगर कुछ लोग हंगामा करते हैं तो करते रहें.

makrand said...

the way u thought u describe we are in democratic word
well job done

Bahadur Patel said...

bahut dino se koi post nahin dala.